उत्तराखंड Congress के लिए अभी से लोकसभा चुनाव की डगर लग रही है मुश्किल, आखिर क्यों?

लोकसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है, जल्द ही बीजेपी और कांग्रेस दोनों अपने-अपने प्रत्याशियों की लिस्ट भी जारी कर देंगे।

 

वहीं जहां बीजेपी में कुल 55 दावेदारों के 5 लोकसभा सीटों के लिए अपनी दावेदारी पेश की है। जिसमे पांचों मौजूदा सांसद, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, सुबोध उनियाल, रेखा आर्य, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी, प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान और कई संघ के नेता शामिल हैं तो कांग्रेस में भी 40 के करीब दावेदारों के अपनी दावेदारी पेश की है जिसमे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा जैसे दिग्गज नेता शामिल हैं।

बीजेपी में जहां इस बात को लेकर बड़े और छोटे नेता टिकट मांग रहे हैं की जिसको टिकट मिलेगा उसका सांसद बनना तय है। बीजेपी में हर नेता इस बात को दोहराते हुए कह रहा है की बस टिकट मिलने की देरी है, मोदी जी कृपा दिखा दें तो सांसद बनना तय है। इस आत्मविश्वास के पीछे भी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का मैजिक और उनकी लोकप्रियता का हवाला दिया जा रहा है। साथ ही उत्तराखंड के राजनीतिक पंडित भी इसे कुछ ऐसा ही मान रहे हैं और हर कोई यही बोल रहा है की बीजेपी में किसी को भी टिकट मिले उसका जितना तय है।

लेकिन इस चुनाव में प्रदेश कांग्रेस के लिए अभी से सब कुछ अच्छा नही हो रहा है। जब बात कांग्रेस की करते हैं तो दिखता है की कांग्रेस के कई बड़े नेता भी इस बात को मान रहे हैं की चुनाव एकतरफा होने जा रहा है। फिर इसके लिए वो ईवीएम, ED , की बात भले ही कर रहे हैं लेकिन उनका मानना भी यही है की इस चुनाव में कांग्रेस को सीट मिलती नजर नही आ रही है।

 

वहीं कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने तो चुनाव लड़ने से साफ मना कर दिया है। जिसमे वरिष्ठ कांग्रेसी विधायक और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का नाम सबसे आगे है। इसके साथ ही गोविंद सिंह कुंजवाल, गणेश गोदियाल, प्रदीप टम्टा जैसे बड़े नेता तो बहुत समय से चुनाव न लड़ने की बात कह रहे हैं। भले ही खुलकर न सही लेकिन गढ़वाल लोकसभा सीट से कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी मनीष खंडूरी भी चुनाव न लड़ने की बात कर रहे हैं,लेकिन कांग्रेस हाईकमान सिर्फ मनीष खंडूरी कोन चुनाव लड़ना चाहता है। कांग्रेस की तरफ से अगर बड़े नेताओं की लिस्ट बनाई जाय जो चुनाव नही लड़ना चाहते तो लिस्ट लंबी होती जायेगी। और यही वजह कांग्रेस के लिए इस चुनाव में कई परेशानियां खड़ी कर रही है।

हरिद्वार लोकसभा सीट को छोड़ दिया जाय तो और सभी लोकसभा सीटों के लिए कांग्रेस को कोई भी मजबूत प्रत्याशी नही मिल रहा है।

 

हरिद्वार लोकसभा सीट एक मात्र सीट है जहां पर एक साथ कांग्रेस के कई दिग्गज नेता चुनाव लड़ना चाहते हैं। हरीश रावत, हरक सिंह रावत , प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा वो नेता हैं जो हरिद्वार लोकसभा सीट से टिकट मांग रहे हैं वहीं नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के समर्थक भी चाहते हैं की वो हरिद्वार से चुनाव लड़े। इसके साथ ही कई और नेता हैं जो हरिद्वार से चुनाव लड़ना चाहते हैं।

हरिद्वार लोकसभा सीट से ही आखिर कांग्रेस के इतने सारे बड़े नेता क्यों चुनाव लड़ना चाहते हैं तो इसकी कई बड़ी वजह हैं।

 

सबसे बड़ी वजह है अन्य लोकसभा सीटों की तुलना में हरिद्वार लोकसभा सीट में अल्प संख्यक समुदाय का अच्छा वोट बैंक। 

कांग्रेस का हर नेता इस बात को मानता है की अल्प संख्यक समुदाय का वोट बैंक कांग्रेस के ही खाते में जाता है। जबकि बीजेपी भी इस बात को मानती है की, अल्प संख्यक समुदाय का बहुत कम वोट बीजेपी को पड़ता है।

 

दलित समाज का भी अच्छा वोट प्रतिशत

 

हरिद्वार लोकसभा सीट में दलित समाज का भी अच्छा वोट प्रतिशत है, और यही वजह है की बसपा, सपा, और कई निर्दलीय उम्मीदवार जिन्हें दलित वोट बैंक से कई उम्मीदें रहती हैं वो हरिद्वार लोकसभा से चुनाव लड़ना चाहता है। और कांग्रेस भी इसी बात को मानती और जानती है इसकी वजह से कांग्रेस अन्य सीटों की तुलना में हरिद्वार लोकसभा सीट उनके लिए ज्यादा मुफीद है।

 

 

हरीश रावत 2009 के लोकसभा चुनाव में हरिद्वार लोकसभा सीट से लड़ चुके हैं तब वो जीते भी थे, हरक सिंह रावत भी इस बार बहुत कॉन्फिडेंट नजर आ रहे हैं उनका कहना है की मुझे टिकट अगर मिलता है तो सामने जो भी हो उसे मै हराकर दिखा दूंगा।

 

और इसी वजह से हरिद्वार लोकसभा सीट कांग्रेस के लिए हॉट सीट बनी हुई है। हरीश रावत हरक सिंह रावत और करण मेहरा तीनों ही दिक्कत नेता एक दूसरे को चुनौती देते हुए नजर आ रहे हैं और इसकी वजह से कांग्रेस को भी इस सीट में नुकसान होता दिख रहा है।

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