उत्तराखंड के धराली में आई भीषण जलप्रलय के बाद एसडीआरएफ की टीम ने खीर गंगा उद्गम स्थल तक उच्च स्तरीय रैकी और भौतिक निरीक्षण किया। 5 अगस्त 2025 को आई इस आपदा में धराली बाजार में व्यापक तबाही हुई थी। एसडीआरएफ की टीम ने ड्रोन के माध्यम से धराली क्षेत्र की सतत निगरानी और सर्चिंग की।
मुख्य बिंदु
राहत और बचाव कार्य:
एसडीआरएफ की टीम ने 7 अगस्त 2025 को खीर गंगा के दाहिने ओर लगभग 3450 मीटर ऊंचाई तक पहुंचकर ड्रोन संचालन किया और किसी भी प्रकार की झील का निर्माण नहीं पाया गया।
वैज्ञानिक विश्लेषण:
8 अगस्त 2025 को टीम ने श्रीकंठ पर्वत के नीचे लगभग 3900 मीटर ऊंचाई पर रैकी की और खीर गंगा एवं धराली क्षेत्र के ऊपर बने नालों की वीडियोग्राफी/फोटोग्राफी की, जिसे वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान और यू-कॉस्ट के वैज्ञानिकों को प्रेषित किया गया।
भौतिक निरीक्षण:
14-15 अगस्त 2025 को टीम ने श्रीकंठ पर्वत बेस और खीर गंगा उद्गम स्थल का भौतिक निरीक्षण किया और लगभग 4812 मीटर ऊंचाई तक पहुंचकर ड्रोन के माध्यम से ग्लेशियर बेस और उद्गम स्थल की विस्तृत वीडियोग्राफी/फोटोग्राफी की।
महत्व:
एसडीआरएफ की टीम द्वारा विषम परिस्थितियों में की गई इस उच्च स्तरीय रैकी और भौतिक निरीक्षण द्वारा आपदा की वास्तविक परिस्थितियों का वैज्ञानिक विश्लेषण संभव हुआ है, जो भविष्य में आपदा प्रबंधन और जोखिम न्यूनीकरण की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।
एसडीआरएफ की टीम ने राहत और बचाव कार्य के साथ-साथ वैज्ञानिक विश्लेषण और भौतिक निरीक्षण के माध्यम से आपदा की वास्तविक परिस्थितियों को समझने का प्रयास किया है। इस कार्यवाही से भविष्य में आपदा प्रबंधन और जोखिम न्यूनीकरण में मदद मिलेगी ।